स्याही, सहमी, दिन की आहट
वो मुर्दा सितारे
जो अपने ही खौफ में जिए
कब गुज़रे कौन जाने
न कभी किसीने कोशिश की
न कोई जान पाया
किस मुकाम पे अब रुकेगी हवा
किस आसमान, कौन से सितारों पे
एक खफा, खोया सा सितारा
मेरा एक मुर्दा सितारा.
Saturday, December 8, 2007
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